रूद्रपुर। राष्ट्रीय चेतना मंच की ओर से महापुरूषों की याद में आयोजित कवि सम्मेलन में कवियों ने काव्य पाठ से समां बांध दिया। काव्य की महफिल में श्रोता पूरी रात जमे रहने को मजबूर हो गये। 

शुभारम्भ मुख्य अतिथि हंस पफाउंडेशन के मुखिया भोले जी महाराज, मंगला माता, विशिष्ठ अतिथि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट,एसएसपी डा0 सदानन्द दाते, मेयर सोनी कोली, कार्यक्रम संयोजक विधयक राजकुमार ठुकराल ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर किया।

कवि सम्मेलन में कविता पाठ करते कवि।
 कार्यक्रम में पहुंचे अतिथियों और कवियों का विधायक ठुकराल सहित अन्य लोगों ने स्वागत किया और उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किये। इसके बाद मंच को कविगणों के हवाले किया गया। पदमश्री सुरेंद्र शर्मा की अध्यक्षता और उन्हीं के संचालन में शुरू हुए कवि सम्मेलन की शुरूआत कवियित्राी कविता तिवारी ने सरस्वती वंदना - ‘‘सारी ध्रा तुम्हारे ही गीत गा रही है, ऐसा लगा तू मधुरिम वीणा बजा रही है, आ जाओ मंच पर भी आसन यहीं लगा लो, देवी सरस्वती मां बेटी बुला रही है’’ से की। हास्य के विख्यात कवि पार्थ नवीन ने बाबा राम रहीम पर कुछ यूं टिप्पणी की- ‘‘अच्छा चलता हूं दुआओं में याद रखना मेरी गुपफा का भी थोड़ा सा खयाल रखना’’। वीर रस के कवि अशोक चारण ने देश भक्ति की कविताओं से श्रोताओं में जोश भर दिया। उन्होंने कहा- ‘‘भागीरथ बनकर लाया हूं अपने मन की गंगे को, उसकी आंखे मुझको तकती मेरी तकें तिरंगे को’’। इंदौर से आई श्रंृंगार की कवियित्राी भुवन मोहिनी ने मंच पर श्रंृगार की कविताओं से श्रोताओं को मंत्रामुग्ध् कर दिया। उन्होंने सुनाया- ‘‘एक अध्ूरी कहानी तो मुझमें भी है, ध्ड़के दिल जो जवानी तो मुझमें भी है, तुम जो छू लो शिवाला बनूं प्रेम का  एक मीरा दिवानी मुझमें भी तो है’’। सुदीप भोला ने अपनी कविताओं से वर्तमान राजनीतिक व्यवस्थाओं के साथ ही तमाम बुराईयों पर करारे तंज कसे। उन्होंने कहा- ‘‘राम देव गुस्से में बोले कुछ बाबा हैं छलिा, अब तो सब चक्की पीसेंगे हम बेचेंगे दलिया’’। कविता तिवारी ने अपनी कविता में कहा-‘‘अगर माटी के पुतले देह में ईमान जिंदा है, तभी इस देश की समृ(ि का अरमान जिंदा है, न भाषण से है उम्मीदें न वादों पर भरोसा है, शहीदों की बदौलत मेरा हिंदुस्तान जिंदा है’’। अलवर राजस्थान से आये विनीत चैहान ने अपनी कविता से जोश भरते हुए सैनिकों की भावनाआंें को कुछ यूं व्यक्त किया- ‘‘इतना खून नहीं छिड़को कि मौसम पफागी हो जाये, सेना को इतना मत रोगो सैनिक बागी हो जाये’’ जगदीश सोलंकी ने सुनाया- ‘‘श्रृंगारों पर तलवे शीतल, जली हथेली साये में, यही पफर्क है आज यहां पर अपने और पराये में’’। अरूण जैमिनी ने हरियाणवी अंदाज में अपनी हास्य व्यंग्य की रचनाओं से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। वही पदमश्री सुरेंद्र शर्मा ने अपनी कविताओं के जरिये समाज की कुरीतियों पर चोट करने के साथ ही हास्य व्यंग्य की पफुलझड़ियों से श्रोताओं को ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया। कार्यक्रम का संचालन दिवाकर पाण्डे और भारत भूषण चुघ ने किया। मुख्य अतिथि भोले जी महाराज ने हरप्रसाद पुष्पक की पुस्तक का विमोचन भी किया। 

कार्यक्रम में विधायक राजेश शुक्ला, एडीएम प्रताप सिंह शाह, एसडीएम रोहित मीणा,एएसपी कमलेश उपाध्याय तहसीलदार अमृता शर्मा, कोतवाल तुषार बोरा, गजेंद्र सिंह संध्ू, उद्योगपति शिव कुमार अग्रवाल, सुनील खेड़ा,जसविंदर सिंह खरबंदा, विजय भूषण गर्ग, हरविंदर सिंह हरजी,  हरीश जल्होत्रा, परवेश साहनी, शाहखान राजशाही, बल्देव छाबड़ा, सुरेश गंगवार, प्रवेश साहनी, विरेंद्र सिंह सामंती, महेश अग्रवाल, अजय तिवारी, राजेंद्र बजाज, मनीष छाबड़ा, मुकेश वशिष्ठ, सुषमा अग्रवाल, संजय ठुकराल,डाल चंद्र, सुरेश कोली, राजेश ग्रोवर, आशीष छाबड़ा सहित तमाम लोग मौजूद थे।
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