मसूरी, मसूरी आज तक ब्यूरो। मंगलवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व पालिकाध्यक्ष ओपी उनियाल द्वारा आयोजित पत्रकार वार्ता में भाजपा मंडल के पदाधिकारियों के दूरी बनाये जाने से स्थानीय भाजपा में गुटबाजी के चर्चे होने लगे हैं। हालाँकि ओपी उनियाल ने किसी भी गुटबाजी से इनकार किया है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व पालिकाध्यक्ष ओपी उनियाल की पत्रकार वार्ता में स्थानीय भाजपा नेताओं की दूरी को आपसी गुटबाजी के तौर पर देखा जा रहा है। हालाँकि आपसी गुटबाजी के सवाल पर ओपी उनियाल ने कहा कि उनके द्वारा पार्टी को पदाधिकारियों को अवगत करा दिया गया था, क्योंकि उनके लिए पार्टी ही सर्वोपरी है। उन्होंने कहा कि हो सकता है अन्य कार्यक्रमों में व्यस्तता के चलते पार्टी कार्यकर्ता नही आ पाए हो, लेकिन उन्हें नही लगता कि पार्टी में किसी प्रकार की कहीं गुटबाजी या मतभेद है। यदि कुछ ऐसा हुआ तो सभी मुददे आपस में बैठकर सुलझा दियें जायेंगे। वहीँ आगामी नगर निकाय चुनाव में टिकट के सवाल पर उन्होंने कहा कि पार्टी का निर्णय सर्वोपरी है। आज उनकी कोई पहचान है तो पार्टी के कारण है और टिकट मांगने का अधिकार हर कार्यकर्ता का है।

ओपी उनियाल स्थानीय भाजपा में एक अनुभवी व जनाधार वाले नेता हैं, यह किसी से छिपा नही है। ऐसे में उनके पत्रकार वार्ता में उनके पार्टी को अवगत कराने के बाद भी भाजपा मंडल के किसी पदाधिकारी के नही पहुँचने पर आपसी मतभेद व गुटबाजी जैसे सवाल खड़े होने लाजमी है। 

उधर देर रात खबर के प्रकाशित होने के बाद भाजपा मंडल अध्यक्ष मोहन पेटवाल ने फोन करके पत्रकार वार्ता की जानकारी होने से इनकार किया है व कहा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता ओपी उनियाल द्वारा पार्टी को पत्रकार वार्ता व उसकी विषय वस्तु से सम्बंधित किसी प्रकार की कोई जानकारी नही दी गयी थी। उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी इस संबंध में सूचना मंडल महामंत्री को देनी चाहिए थी, जो उन्होंने नही दी। पेटवाल ने कहा कि पार्टी में किसी प्रकार के मतभेद या गुटबाजी नही है और भाजपा के वरिष्ठ नेता द्वारा पार्टी को इस सम्बन्ध में सूचना देने की बात सही नही है 

बहरहाल पूर्व पालिकाध्यक्ष ओपी उनियाल या भाजपा मंडल अध्यक्ष मोहन पेटवाल के बयानों से भी विरोधाभास दिखाई पड़ रहा है जो भी कहें मसूरी भाजपा में पूर्व मे भी गुटबाजी किसी से छिपी नहीं रही, जिसके कारण पूर्व में भाजपा को मसूरी नगरपालिका अध्यक्ष की सीट गंवानी पड़ी थी। निकाय चुनाव के लिए पार्टी किसे टिकट देगी यह पूरी तरह भाजपा का अंदरूनी मामला है, लेकिन टिकट किसी को भी मिले गुटबाजी रही तो नुकसान तो भाजपा का ही है। इसलिए समय रहते यदि मसूरी भाजपा में मतभेद या गुटबाजी है तो उस पर भाजपा नेताओ को विराम लगाना होगा, अन्यथा इसका खामियाजा भाजपा को आगामी निकाय चुनाव में फिर से भुगतना पड सकता है। 
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