देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री व् हरिद्वार सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को रेखांकित करती हुई काव्य रचना “मुझको बचा ले माँ” का विमोचन दीप प्रज्वलन कर किया। डा. निशंक
ने कहा कि हर क्षेत्र में पूरी ताकत के साथ कार्य करने से ही सफलता मिलती
है और जिस प्रकार से पुस्तक की लेखिका अंजलि कैंतुरा ने जो प्रयास किया है
वह बहुत ही सराहनीय है।
उत्तराँचल प्रेस क्लब में पूर्व मुख्यमंत्री व् हरिद्वार सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को रेखांकित करती अंजलि केंतुरा की काव्य रचना “मुझको बचा ले माँ” का विमोचन अवसर पर अंजली केंतुरा को बधाई देते हुए कहा कि अंजली केंतुरा ने गृहणी होते हुए समाज में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मुहीम को आगे बढ़ाते हुए इतनी सुन्दर कविताओ का जो सृजन किया वह वाकयी काबिले तारीफ हैं। गीतों के स्वरूप में जिस प्रकार से उसका गायन बॉलीवुड की मशहुर गायिका सोनिया आनन्द रावत ने किया है वह अपने आप में एक मिसाल है। किसी भी कार्य को करने के लिए मन में छटपटाहट होती है और उसके लिए सकारात्मक सोच का होना नितांत आवश्यक है। निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है।
कविता छटपटाहट से ही लिखी जाती है और मन से कविता निकलती है और कविता कृत्रिम रूप से खड़ी नहीं की जा सकती है। उनका कहना है कि हर शब्द में चुनौती और कुछ कर गुजरने की शक्ति होती है और मन के भीतर उदगार पैदा न हो तो रचना पैदा ही नहीं हो सकती है। आंसू विचार प्रवाह व ताकत का प्रतीक है और यह ताकत का पर्याय भी बन सकता है और जिस प्रकार से छोटी कहानियां व कवितायें व्यक्ति का हिस्सा बन जाती है इसके लिए सभी को लिखने की आदत डालनी चाहिए। उन्होंने कहा की अगर मनुष्य कुछ कर गुजरने की सोच ले, और किसी मुहीम को छेड़ दे तो लगन के साथ वह उस मुहीम को एक बड़े आन्दोलन के रूप में बदल सकता हैं और इसका जीता जागता उदाहरण अंजलि केंतुरा की काव्य रचना हैं। उन्होंने कहा कि इस समय बेटियों को बचाने और पढ़ाने की समाज में बहुत जरुरत है।
कविता छटपटाहट से ही लिखी जाती है और मन से कविता निकलती है और कविता कृत्रिम रूप से खड़ी नहीं की जा सकती है। उनका कहना है कि हर शब्द में चुनौती और कुछ कर गुजरने की शक्ति होती है और मन के भीतर उदगार पैदा न हो तो रचना पैदा ही नहीं हो सकती है। आंसू विचार प्रवाह व ताकत का प्रतीक है और यह ताकत का पर्याय भी बन सकता है और जिस प्रकार से छोटी कहानियां व कवितायें व्यक्ति का हिस्सा बन जाती है इसके लिए सभी को लिखने की आदत डालनी चाहिए। उन्होंने कहा की अगर मनुष्य कुछ कर गुजरने की सोच ले, और किसी मुहीम को छेड़ दे तो लगन के साथ वह उस मुहीम को एक बड़े आन्दोलन के रूप में बदल सकता हैं और इसका जीता जागता उदाहरण अंजलि केंतुरा की काव्य रचना हैं। उन्होंने कहा कि इस समय बेटियों को बचाने और पढ़ाने की समाज में बहुत जरुरत है।
वरिष्ठ आन्दोलनकारी श्रीमती सुशीला बलूनी ने भी पहाड़ में महिलाओ की स्थिति को सुधरने पर जोर देते हुए कहा की आज समाज में महिलाओ को सहयोग की जरुरत है। उन्हें अंजली केंतुरा की कविताएँ इतनी सुन्दर लगी कि वे तारीफ करते हुए नही थकी।
इस अवसर पर बीजेपी नेता उमेश अग्रवाल, विराट हिंदुस्तान संगम (वी एच एस ) के प्रदेश अध्यक्ष राजीव गुप्ता, जिला पंचायत सदस्य सुभाष भट्ट, सांसद सूचना प्रतिनिधि आशुतोष ममगाईं, बीजेपी नेता जगदीश भद्री, रूपेंद्र बिष्ट, पार्षद आलोक कुमार, सतीश कश्यप, शोकीन अंसारी, दिक्षा केंतुरा, रश्मि कुकरेती, संजय बहुगुणा, ललित जोशी आदि उपस्थित रहे।
Post A Comment:
0 comments so far,add yours