देहरादून। उत्तराखंड क्रांति दल के महानगर अध्यक्ष संजय क्षेत्री ने कहा है कि पब्लिक स्कूलों की मनमानी के खिलाफ मोर्चा खोला जायेगा। वहीं दूसरी ओर उक्रांद नेताओं ने छात्रों के अभिभावकों के साथ इस संबंध में जिलाधिकारी एसए मुरुगेशन से वार्ता की। जिलाधिकारी ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को पूरे प्रकरण की जांच के लिए निर्देश दिए हैं।


कहा कि राजधानी कैंब्रियन हॉल स्कूल द्वारा मध्य सत्र में मनमाने तरीके से नौ छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करते हुए स्कूल से निकाले जाने के मनमाने नियम अपनाए जा रहे हैं। जिससे मायूस छात्रों के भविष्य और जीवन पर स्कूल प्रशासन के मनमाने रवैए के कारण संकट गहराता जा रहा है। उनका कहना है कि सन 2016-17 के सत्र में स्कूल में कक्षा 11 के 9 छात्र कुछ अंकों से अनुत्तीर्ण हो गए थे, जिस पर स्कूल प्रशासन ने एक सोची समझी साजिश के तहत उक्त छात्रों के अभिभावको से मंत्रणा करने के पश्चात उन समस्त छात्रों को कक्षा 12 में बैठने की अनुमति यह कहते हुए प्रदान कर दी कि कुछ माह बाद स्कूल प्रशासन द्वारा बच्चों का पुनः इम्तिहान लिया जाएगा। उत्तीर्ण होने के पश्चात बच्चों को कक्षा 12 की वार्षिक परीक्षा में बैठने दिया जाएगा। इस बाबत स्कूल प्रशासन द्वारा छात्रों के अभिभावको से रूपये 10 के स्टांप पेपर पर लिखित आश्वासन ले लिया गया कि यदि बच्चे पुनः इम्तिहान में अनुत्तीर्ण रहते हैं तो अभिभावको द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी।अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने की लालसा तथा कोई विकल्प ना होने के कारण अभिभावको द्वारा स्कूल प्रशासन की बात मानने के लिए मजबूर होना पड़ा। अगस्त 2017 में स्कूल प्रशासन द्वारा छात्रों के इम्तिहान लिए गए तथा छात्रों तथा उनके अभिभावको का कहना है कि स्कूल प्रशासन द्वारा स्कूल के छात्रावास में रहकर शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों तथा अपने घर से आवागमन कर शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों के बीच भेदभाव पूर्ण तरीका अपनाया जाता है। उनका कहना है कि इसका मुख्य कारण यह बताया गया है कि छात्रावास में रहने वाले छात्रों से स्कूल प्रशासन को प्रतिवर्ष 400000 रुपये के लगभग भुगतान किया जाता है तथा स्थानीय छात्रों से छात्रावास की सुविधाएं ना लिए जाने के कारण वर्ष में रूपय 50000 भुगतान लिया जाता है। यह एक गंभीर आरोप है शिक्षा के क्षेत्र में इस प्रकार का सौतेला पूर्ण व्यवहार दुर्भाग्यपूर्ण है। स्कूल प्रशासन द्वारा शिक्षा में व्यावसायिक पूर्ण दृष्टिकोण रखते हुए छात्रावास का इस्तेमाल करने वाले छात्रों को दरियादिली से अंक प्रदान किए जाते हैं तथा अपने घर से आवागमन कर शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों को हार्ड मार्किंग पद्धति का इस्तेमाल करते हुए अयोग्य करार दिया जाता है।

छात्रों तथा छात्रों के अभिभावक का कहना है कि यदि 2016- 17 की उत्तर पुस्तिकाओं की पुनः जांच कराई जाए तो यह बात साबित हो सकती है कि छात्रावास में रहने वाले छात्रों को उनके अभिभावको से मोटी फीस लेने के एवज में जवाबदारी से बचने के लिए स्कूल प्रशासन द्वारा दरियादिली से अंक प्रदान किए गए जबकि बाकी छात्रों को जानबूझकर अनुत्तीर्ण किया गया । स्कूल के प्रधानाचार्य श्री सुरेश ब्याला जी द्वारा छात्रों के अभिभावको से पूर्व में ही शपथ पत्र लेना इस गहरी साजिश की ओर इशारा भी करता है। उनका कहना है कि लगभग पिछले 20 दिनों से स्कूल प्रशासन द्वारा अचानक स्कूल से निकाल दिया गया है। जिससे छात्र गुमसुम स्थिति में है तथा अपने भविष्य के प्रति आशंकित है। वही छात्रों के अभिभावक लगातार किसी अनहोनी की आशंका से अपने बच्चों की गतिविधियों पर गंभीरता पूर्वक नजर रखे हुए हैं। छात्रों के अभिभावकों का कहना है कि उक्त छात्र प्राथमिक कक्षा से ही स्कूल के छात्र रहे हैं तथा पूर्व में प्रतिवर्ष अच्छे अंको से उत्तीर्ण होते रहे हैं तथा स्कूल प्रशासन द्वारा जबरन बच्चों को ऐसे समय में अनुत्तीर्ण किया गया है ताकि छात्रों को किसी अन्य स्कूल में भी दाखिला ना मिल सके और उन्हें मजबूरन एक वर्ष और स्कूल में ही पढ़ने के लिए मजबूर किया जा सकें। उन्होंने जिलाधिकारी से अनुरोध किया है कि उक्त प्रकरण मे प्रशासन द्वारा मध्यस्ता करते हुए सारे प्रकरण की जांच कराई जाए तथा कक्षा 11 के इम्तेहान की उत्तर पुस्तिकाओं की पुनः किसी तटस्थ स्कूल के शिक्षकों द्वारा आकलन कराया जाए व आरोप सत्य साबित होने पर स्कूल प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए जिससे शिक्षा के मामले में अग्रणी देहरादून जनपद में पब्लिक स्कूलों मैं शिक्षा की आड़ में चल रहे गोरखधंधे को उजागर किया जा सके। शिक्षा के क्षेत्र में स्कूलों द्वारा इस तरह से मनमानी नियमों को अपनाया जाना छात्रों के भविष्य व उनके जीवन के साथ एक बहुत बड़ा खिलवाड़ है। स्कूल प्रशासन को या तो 11वीं में अनुत्तीर्ण छात्रों को पूर्व में ही बारहवीं कक्षा में दाखिला नहीं देना चाहिए था और यदि ऐसा करना नियमों के तहत है तो स्कूल प्रशासन को उचित समय में इनके पुनः परीक्षाएं करवा कर उसका परिणाम समय से घोषित करना चाहिए था, जिस से असंतुष्ट होने पर छात्र व उनके अभिभावक किसी अन्य स्कूल में दाखिले के लिए आवेदन कर सकते थे। उनका कहना है कि शीघ्र ही ओर किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई तो दल के कार्यकर्ता स्कूल के बाहर अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू करेंगें। इस अवसर पर वार्ता में लताफत हुसैन, सुनील ध्यानी आदि मौजूद थे।
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