मसूरी, मसूरी आज तक ब्यूरो: मसूरी नगर पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल के खिलाफ भाजपा नेताओं पूर्व पालिकाध्यक्ष ओपी उनियाल और पालिका सभासद शशि रावत के आरोपों और शिकायतों पर कार्यवाही नही होने से भाजपा सरकार कटघरे में हैं. सवाल उठने भी लाजमी है, जीरो टाॅलरेंस का नारा देने वाली त्रिवेंद्र सरकार की आखिर ऐसी क्या मजबूरी है कि अपने ही पार्टी कार्यकर्ताओं की मांग पर भी कार्यवाही करने में असमर्थ है. 

मसूरी नगर पालिका वैसे तो हमेशा से ही भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी रहती है, लेकिन ऐसा शायद ही पहले कभी ऐसा हुआ हो कि अपनी ही सरकार में भ्रष्टाचार के शिकायते करने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं की सुनवाई न हो. कांग्रेस के मसूरी पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल भी उन पर लग रहे इन आरोपों पर सफाई देते हुए कहते हैं कि उनके खिलाफ लगाये जा रहे आरोप सही नही हैं, और वे हर जाँच के लिए हमेशा तैयार हैं. यदि आरोपों में कोई सत्यता पायी जाती है, तो वे सजा भुगतने को भी तैयार हैं.

बताते चलें कि अभी दो दिन पहले ही पूर्व पालिकाध्यक्ष ओपी उनियाल ने पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए ही थे कि उनके एक दिन बाद ही भाजपा सदस्य व नगर पालिका सभासद शशि रावत ने भी प्रेस कांफ्रेंस कर पालिकाध्यक्ष पर भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाकर भाजपा सरकार व मसूरी भाजपा को भी असहज कर दिया है. सभासद शशि रावत बताती है कि पिछले दो सालो से वे पालिकाध्यक्ष के भ्रष्ट कारनामों की कुंडली तैयार कर साक्ष्यों के साथ सरकार व प्रशासन से पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल के कृत्यों की जांच की मांग कर रही हैं, लेकिन प्रदेश में जीरो टाॅलरेंस की अपनी ही पार्टी की सरकार में भी उनकी सुनवाई नही हो रही. जो कि अफ़सोस जनक है. शशि रावत मसूरी भाजपा मंडल व विधायक गणेश जोशी का सहयोग न मिलने से भी आहत हैं. वे बताती हैं कि यदि पार्टी और विधायक का सहयोग मिलता तो पालिकाध्यक्ष अब तक अपने कृत्यों की सजा भुगत रहे होते. इस पर मसूरी भाजपा पदाधिकारियों को सोशल मीडिया में भी प्रतिक्रिया देनी पड रही है. वे कहते हैं कि भाजपा हमेशा भ्रष्टाचार के खिलाफ रही है.

अब किसी जाँच या कार्यवाही के न होने से आहत सभासद शशि रावत को अपनी सभासदी से ही इस्तीफा देना पड़ा है. तो सवाल उठता है कि या तो भाजपा और प्रदेश में भाजपा की जीरो टाॅलरेंस की सरकार पालिकाध्यक्ष पर लग रहे आरोपों को मानने को ही तैयार नही है और उनके नेताओं के आरोप ही निराधार है या फिर वह भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर ही नहीं हैं. 

मसूरी भाजपा की भी बात की जाय तो, उसने तीन माह पूर्व शशि रावत द्वारा पालिका प्रांगण में दिए धरने को समर्थन अवश्य दिया, लेकिन खुद एक विपक्ष के रूप में भ्रष्टाचार को लेकर मुखर नही दिखी. यदि पार्टी ने खुद ही एक विपक्ष के रूप में भ्रष्टाचार को लेकर मोर्चा संभाल लिया होता तो न सभासद को धरने पर बैठने और अपना इस्तीफा देने की आवश्यकता होती और न ही पूर्व पालिकाध्यक्ष को प्रेस कांफ्रेंस कर पालिकाध्यक्ष को भ्रष्टाचार पर कटघरे में खड़ा करने की आवश्यकता. 

बहरहाल, पालिकाध्यक्ष पर लगाये जा रहे भ्रष्टाचार के इन नेताओं के आरोपों में कितनी सच्चाई है, यह तो जांच के बाद ही सामने आ सकेगा.  फिलहाल भाजपा के इन नेताओं की शिकायतों पर कार्यवाही नही होने से भाजपा और भ्रष्टाचार पर जीरो टाॅलरेंस का नारा देने वाली सरकार ही कटघरे में है. क्योंकि सच्चाई तब तक सामने नहीं आ सकेगी  जब तक इन आरोपों की जांच नही होती.
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