देहरादून। जंगली जानवरों को उनके प्राकृतिक आवास पर ही अनुकूल वातावरण और पर्याप्त भोजन उपलब्ध हो तो गांव से शहर तक चारों ओर फैले उनके भय व आतंक को कम किया जा सकता है। मनुष्य और जानवरों के बीच सहअस्तित्व को बचाये रखने के लिए बदली हुई परिस्थितियों में हर एक नागरिक को जंगली जानवरों की सुरक्षा एवं भोजन पर चिन्तन करना जरूरी हो गया है।
पत्रकार वार्ता के दौरान कटहल समूह के पदाधिकारी।
उत्तरांचल प्रेस क्लब में कटहल समूह द्वारा आयोजित पत्रकार वार्ता में कटहल संगठन की संरक्षक लक्ष्मी अग्रवाल ने कहा कि अस्तित्व को बचाये रखने की जदोजेहद में जंगली जानवर बडी मात्रा में आये दिन मानव बस्तियों तक पहुंचते हैं और काश्तकारों की फसलों को भारी नुकशान पहुंचा रहे हैं। इस परिस्थिति में गावों से लोगों का शहरांे की तरफ पलायन हो रहा है। जिस वजह से कई गांव बीरान हो जाने की स्थिति में है। वहीं शहरों में बन्दर घरों के अन्दर घुसकर हमला बोल रहे हैं ऐसे में जरूरी हो गया है कि हमें जगलों में फलदार पौधों का रोपण और संरक्षण कर इस समस्या के समाधान के सारे रास्ते तलाशने होंगे। समूह के संस्थापक अनिल रावत ने कहा कि कटहल व्यक्तियों का एक ऐसा समूह है जो मानव के अतिरिक्त अन्य सभी प्राणि मात्र के मध्य सहअस्तित्व के सम्बन्धों की गरिमा, सुरक्षा, और उत्तरजीविता के लिए सबको आहार उनके आवास पर ही उपलब्ध होने की धारणा में विश्वास करता है। यह समूह 18 सितम्बर 2017 को एक अनौपचारिक चर्चा के बीच अस्तित्व में आया। आज यह आवश्यक हो गया है कि लोग इस काम के लिए आगे आयें और मानसिक और आर्थिक रूप से भरपूर सहयोग करें। समूह की सदस्य प्रकृति रावत ने कहा कि समूह इस कार्य के लिए व्यापक सर्वेक्षण का कार्य कर रहा है ताकि इस परिकल्पना के अनुरूप कुछ स्थानों पर माॅडल प्रयास खड़े किये जा सकें। उन्होंने कहा कि इस प्रयास में अनेक संस्थाओं एवं सरकारी विभागों तथा संस्थानों के साथ ही समुदाय का सहयोग लिया जायेगा और एक व्यापक जन आन्दोलन का निर्माण किया जायेगा। कान्फे्रस में डा० डी०एस० पुण्डीर, दीपा मेहरा भी मौजूद रहे।
Share To:

Post A Comment:

0 comments so far,add yours