हरिद्वार। गंगा के पांच किलोमीटर के दायरे में खनन और स्टोन क्रशर संचालित करने के विरोध मातृसदन ने 30 अक्टूबर से अनशन का ऐलान किया है। मातृसदन के परमाध्यमक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। इसमें गंभीर आरोप लगाते हुए चार अधिकारियों के खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट में वाद दायर करने की भी चेतावनी दी गई है।
स्वामी शिवानंद ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या कर स्टोन क्रशरों को खोलने की योजना बनाई है। हाईकोर्ट ने सिर्फ उस मामले का पुनरीक्षण मंजूर किया है, जिसमें स्टोन क्रशर की जमीन पर मालिकाना हक को लेकर विवाद है। विवाद इस बात पर है कि स्टोन क्रशर ग्राम समाज की जमीन पर है या निजी भूमि पर। स्वामी शिवानंद ने आरोप लगाया कि उन्हें जानकारी मिली है कि स्टोन क्रशर खोलने की एवज में अफसरों के बीच डेढ़ से दो करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ। उन्होंने सवाल उठाया कि दिल्ली में यमुना किनारे एक कार्यक्रम करने पर आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर पर करोड़ों रुपये जुर्माना लगाया गया, हरिद्वार में गंगा को नुकसान पहुंचा रहे खनन और क्रशर माफिया के खिलाफ सरकार चुप्पी साधे हैं। जहां कार्रवाई की भी गई, वहां औपचारिक ही रही। स्वामी ने आरोप लगाया कि क्रशरों पर 20 से 30 फीट तक के गड्ढों को चार से पांच फीट बताकर केवल 33 करोड़ का जुर्माना लगाया गया। इसकी भी वसूली नहीं हो पाई। उन्होंने इन मामलों में पूर्व में खनन विभाग देख रहे सचिव शैलेश बगौली, औद्योगिक सचिव आनंद वर्द्धन, हरिद्वार के पूर्व जिलाधिकारी हरबंश सिंह और मौजूदा डीएम दीपक रावत के खिलाफ पर्यावरण सरंक्षण अधिनियम के तहत अवमानना का मामला दर्ज कराने की बात कही।
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