पटना, कृष्ण कुमार
पटना : प्रदेश सरकार ने बालू की खनन पर एक जुलाई से 30 सितंबर तक रोक लगा दी है. इस आदेश को ठेंगा दिखाते हुये राजधानी से करीब 56 किमी दूर सोन नदी के किनारे बसे कोइलवर इलाके में लाल बालू का अवैध खनन धड़ल्ले से हो रहा है. इसे इलाके में ‘सोना’ भी कहा जाता है.
इससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व की प्रतिदिन हानि हो रही है, वहीं खनन माफिया फल-फूल रहे हैं. सारण जिले के डोरीगंज इलाके से करीब 300 नाव कोइलवर इलाके में हर दिन आते हैं. वे सोन नदी से सैकड़ों टन बालू का खनन करते हैं. एक नाव में करीब तीन से पांच ट्रक बालू लादा जाता है. वहीं भोजपुर जिले के कोइलवर में सोन नदी पर करीब 1400 मीटर लंबी रेल व सड़क पुल है. पुल के नीचे सोन नदी में दक्षिण में 2000 फीट और उत्तर में 1000 फीट की एरिया में खनन पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने प्रतिबंध लगा रखा है.
कोइलवर-बक्सर तटबंध को भी काट डाला
खनन माफियाओं की निडरता आलम यह है कि ट्रक से बालू ढुलाई करवाने के लिए उन्होंने टीबी सेंटोरियम के पास कोइलवर-बक्सर तटबंध को भी काट डाला है. इसका नुकसान यह है कि सोन नदी में बाढ़ आने पर उसका पानी तटबंध पार कर लोगों की घरों में घुस जायेगा. यही नहीं कोइलवर स्टेशन के ठीक नीचे पुल केदूसरी तरफ रेलवे का बेरियर भी तोड़ दिया गया है. इन दोनों जगहों से ट्रकों को सोन नदी में ले जाया जाता है.
रेलवे बैरियर तोड़ डाला
जहां रेलवे का बेरियर तोड़ा गया है, वहां ठीक बगल में ब्रॉडसन कमोडिटीज प्रालि. का चालान ऑफिस है. यहीं से होकर नदी घाट से बालू लेकर आने वाले वाहन चालान कटवाते हैं. इस जिले की बालू घाटों का महत्व इसलिये है कि प्रदेश सरकार को यहां से सबसे ज्यादा राजस्व मिलता है. साल 2017 के पंचांग वर्ष में सरकार को एक अरब दो करोड़ 99 लाख 85 हजार 819 रुपये मिले।
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