बी एस चौहान

मसूरी। उत्तराखंड एक बेहतरीन पर्यटक स्थल तो है ही लेकिन ये अपने आध्यत्मिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। उत्तराखंड की राजधानी, देहरादून से 128 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आदि केदार लाखामंडल नामक स्थान है। माना जाता है कि इस स्थान पर महाभारत काल में पांडवों को जीवित आग में भस्म करने के लिए उनके चचेरे भाई कौरवों ने यहीं लाक्षागृह का निर्माण करवाया था। इसलिए यह आदि केदार क्षेत्र ग्राम लाखामंडल के नाम से प्रसिद्ध हुआ

ऐसी मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान इस स्थान पर स्वयं युधिष्ठिर ने शिवलिंग को स्थापित किया था। इस शिवलिंग को आज भी महामंडेश्वर नाम से जाना जाता है। जहां युधिष्ठिर ने शिवलिंग स्थापित किया था वहां एक बहुत खूबसूरत मंदिर बनाया गया था। दिल को लुभाने वाली यह जगह गुफाओं और भगवान शिव के मंदिर के प्राचीन अवशेषों से घिरा हुआ है। यहां पर खुदाई करते वक्त विभिन्न आकार के और विभिन्न ऐतिहासिक काल के हजारों शिवलिंग मिले हैं। 
शिवलिंग के ठीक सामने दो द्वारपाल पश्चिम की तरफ मुंह करके खड़े हुए दिखते हैं। ऐसी मान्यता है कि अगर किसी शव को इन द्वारपालों के सामने रखकर मंदिर के पुजारी उस पर पवित्र जल छिड़कें तो वह मृत व्यक्ति कुछ समय के लिए पुन: जीवित हो उठता है। जीवित होने के बाद वह भगवान का नाम लेता है और उसे गंगाजल प्रदान किया जाता है। गंगाजल ग्रहण करते ही उसकी आत्मा फिर से शरीर त्यागकर चली जाती है। लेकिन इस मंदिर के पीछे दो द्वारपाल स्थित हैं, जिनमें से एक का हाथ कटा हुआ है। अब ऐसा क्यों हैं यह बात आजतक एक रहस्य ही बना हुआ है।

यहां पर स्थित शिवलिंग मृत व्यक्ति को तो जीवित करता ही है लेकिन इसकी एक और महिमा भी है, जिसके विषय में बहुत ही कम लोग जानते हैं। महामंडलेश्वर शिवलिंग के विषय में माना जाता है कि जो भी स्त्री, पुत्र प्राप्ति के उद्देश्य से महाशिवरात्रि की रात मंदिर के मुख्य द्वार पर बैठकर शिवालय के दीपक को एकटक निहारते हुए शिवमंत्र का जाप करती है, उसे एक साल के भीतर पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। 
लाखामंडल में बने इस शिवलिंग की एक अन्य खासियत यह है कि जब भी कोई व्यक्ति इस शिवलिंग का जलाभिषेक करता है तो उसे इसमें अपने चेहरे की आकृति स्पष्ट नजर आती है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां आने वाला कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नहीं लौटता, भगवान महादेव अपने दर पर आने वाले भक्तों की मनोकामना अवश्य ही पूरी करते हैं। यहां पर आकर भगवान शिव की आराधना करने से समस्त पापों का नाश होता है।
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