कृषि, खाद्य व पोषण सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की आवश्यकता
उत्तराखंड में औषधीय, सगंध पौधों व एग्रो-टूरिज्म की अपार सम्भावनाएं
देहरादून। राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल ने कहा है कि प्रगतिशील व सुखी राष्ट्र के लिए कृषि व खाद्य सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी। उŸाराखण्ड की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए पर्वतीय खेती पर विशेष ध्यान देना होगा। औषधीय व सगंध पौधों की क्लस्टर आधारित खेती, उत्तराखंड के लिए वरदान साबित हो सकती है। एग्रो-टूरिज्म की भी अपार सम्भावनाएं हैं। राज्यपाल, पं.गोविंद बल्लभ पंत कृषि व तकनीकी विश्वविद्यालय के 31 वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे।
उत्तराखंड में औषधीय, सगंध पौधों व एग्रो-टूरिज्म की अपार सम्भावनाएं
देहरादून। राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल ने कहा है कि प्रगतिशील व सुखी राष्ट्र के लिए कृषि व खाद्य सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी। उŸाराखण्ड की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए पर्वतीय खेती पर विशेष ध्यान देना होगा। औषधीय व सगंध पौधों की क्लस्टर आधारित खेती, उत्तराखंड के लिए वरदान साबित हो सकती है। एग्रो-टूरिज्म की भी अपार सम्भावनाएं हैं। राज्यपाल, पं.गोविंद बल्लभ पंत कृषि व तकनीकी विश्वविद्यालय के 31 वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे।
राज्यपाल गोविंद बल्लभ पंत कृषि व तकनीकी विवि के दीक्षांत समारोह में छात्रों को उपाधि प्रदान करते हुए। |
राज्यपाल ने डिग्री पाने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई व उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। राज्यपाल ने कहा कि जी.बी पंत विश्वविद्यालय ने सदैव देश को उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान की हैं। देश को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाने में इस विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। अब इस विश्वविद्यालय को पोषण-सुरक्षा सुनिश्चित करने में अपनी भूमिका निभानी होगी। राज्यपाल ने कहा कि कृषि को लाभप्रद बनाना व किसानों को कृषि से जोड़े रखना इस 130 करोड़ की जनसंख्या वाले देश की खाद्य सुरक्षा के लिए आवश्यक है तथा इसमें पंतनगर विश्वविद्यालय की भूमिका महत्वपूर्ण है। विश्वविद्यालय को भावी पर्यावरण व मृदा उर्वरता में गिरावट के अनुमान के अनुसार आगे की रणनीति बनानी होगी। कृषि विश्वविद्यालयों से उन्होंने किसानों को धान की पुआल के निस्तारण का विकल्प देने की अपेक्षा की, ताकि इसे जलाने से हो रहे पर्यावरण प्रदूषण को रोका जा सके।
राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का ये कथन कि भारत गांवों में निवास करता है, आज भी सही है। बिना कृषि के तरक्की सम्भव नहीं है। उŸाराखण्ड की बड़ी जनसंख्या कृषि व पशुपालन पर निर्भर है। यहां की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए पर्वतीय खेती पर विशेष ध्यान देना होगा। कृषि-जोतों के छोटे व बिखरे होने के कारण पर्वतीय खेती की उत्पादकता बहुत कम होती है। पर्वतीय खेती के लिए स्टोरेज, सप्लाई-चैन, खाद्य प्रसंस्करण आदि सुविधाएं उपलब्ध करवानी होंगी। पशुपालन को प्रोत्साहित करने के लिए पोष्टिक चारा व यहां के डेयरी आधारित उत्पादों को मार्केट उपलब्ध करवाना होगा। राज्यपाल ने कहा कि पर्वतीय खेती में अपार सम्भावनाएं मौजूद हैं। चाय, आॅफ-सीजन सब्जियां, फल, बीज के उत्पादन के लिए यहां की जलवायु अनुकूल है। उŸाराखण्ड में काफल, खूबानी, अखरोट आदि फल पोष्टिक होते हैं और बाजार में इनकी बेहतर कीमत भी मिलती है। हिमालय उच्च कोटि के औषधीय व सगंध (एरोमेटिक) पौधों के लिए जाना जाता है। बड़े स्तर पर औषधीय व सगंध पौधों की क्लस्टर आधारित खेती, उŸाराखण्ड के लिए वरदान साबित हो सकती है। एग्रो-टूरिज्म में भी अच्छी सम्भावनाएं हैं।
राज्यपाल ने कहा कि हमें वन विकास पर भी ध्यान देना चाहिए। इससे मृदा, जल व जैव विविधता के संरक्षण के साथ ही स्थानीय खेती को भी लाभ होगा। उŸाराखण्ड में पाई जाने वाली वनस्पति की पहचान कर उसे स्थानीय आजीविका से जोड़ा जाना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि पर्वतीय खेती, पशुपालन, औषधीय व सगंध पौधों पर फोकस करते हुए पर्वतीय क्षेत्रों के विकास के लिए जी.बी. पंत विश्वविद्यालय, अपने शोध कार्यों को और अधिक विस्तारित करे। किसानों के लिए सरल, कम लागत व उनके कृषि-उत्पादों का मूल्य वर्धित करने वाली तकनीक विकसित की जाएं। राज्य में होने वाले फलों, फूलों, सब्जियों, औषधीय व सगंध पौधों की मैपिंग की जाएं। बद्री गाय व ओर्गेनिक खेती पर रिसर्च को प्रोत्साहित किया जाए।
कृषि मंत्री श्री उनियाल ने इस दीक्षांत समारोह में उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी। अपने सम्बोधन में उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए जैविक कृषि अधिनियम लाने जा रही है, ताकि किसानों को उनके विभिन्न उत्पादन का अधिक मूल्य मिल सके। उन्होंने विश्वविद्यालय से भी विभिन्न जैविक उत्पादों के उत्पादन, मूल्य संवर्धन व विपणन पर अनुसंधान हेतु एक जैविक कृषि अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना किये जाने के लिए कहा। साथ ही उत्तराखण्ड के विषिष्ट उत्पादों के मूल्य संवर्धन हेतु एक कृषि उत्पाद अनुसंधान एंव प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना के लिए भी कहा, ताकि प्रदेश के युवाओं एवं छोटे उद्यमियों को विभिन्न प्रकार की लघु औद्योगिक इकाईयों को विकसित करने में सहायता मिल सके। कुलपति, प्रो ए.के. मिश्रा ने सभी अतिथियों व विद्यार्थियों का स्वागत करते हुए विष्वविद्यालय द्वारा शिक्षण, शोध व प्रसार के क्षेत्रों में पिछले एक वर्ष में प्राप्त की गयी उपलब्धियों को प्रस्तुत किया। इस दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति, डा. के.के. पाॅल, ने 1261 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की। साथ ही 41 विद्यार्थियों को विभिन्न पदक प्रदान किये गये, जिनमें 14 विद्यार्थियों को कुलपति स्वर्ण पदक, 15 विद्यार्थियों को कुलपति रजत पदक तथा 12 विद्यार्थियों को कुलपति कांस्य पदक प्रदान किये गये। सर्वोत्तम स्नातक विद्यार्थी को दिया जाने वाला कुलाधिपति स्वर्ण पदक, कविता बिष्ट को दिया गया। इनके अतिरिक्त 6 विद्यार्थियों को विभिन्न अवार्ड प्रदान किये गये, जिनमें एक विद्यार्थी को श्री पूरन आनन्द अदलखा स्वर्ण पदक अवार्ड, एक विद्यार्थी को श्रीमती सरस्वती पण्डा स्वर्ण पदक अवार्ड, ,एक विद्यार्थी को श्रीमती नागम्मा शान्ताबाई अवार्ड, एक विद्यार्थी को डा. राम शिरोमणी तिवारी अवार्ड तथा दो विद्यार्थियों को चौधरी चरण सिंह स्मृति प्रतिभा पुरस्कार सम्मिलित हैं।
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