बक्सर के एस0जे0वी0एन0 थर्मल पावर प्रोजेक्ट ग्राउण्ड में शांति की चाहत रखने वाले लाखों लोगों के बीच प्रेम रावत जी ने कहा कि जब तक तुम्हारे अंदर श्वास आ रहा है और जा रहा है, तुम जीवित हो। जिस चीज की आपको तलाश है वह आपके ही अन्दर है । मेरा-तेरा के चक्कर में मनुष्य मानवता को भूल गया है। इसी वजह से संसार में हर तरफ अशांति का माहौल बना हुआ है। शांति हर व्यक्ति के अंदर है। लेकिन शांति को अनुभव करने के बजाय मनुष्य उसको परिभाषित करने में लगा है, जबकि मनुष्य की बुनियादी जरूरत है शांति। जीवन में चाहत कभी खत्म नहीं होगी। जीवन में संतुलन बनाना जरूरी है। जब हर व्यक्ति के जीवन में शांति होगी, तभी इस संसार में शांति संभव है।
उनको सुनने के लिए बिहार के गणमान्य विधायक, प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी तथा बिहार, उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोग आये हुए थे। प्रेम रावत जी ने कहा कि मनुष्य अमीरी-गरीबी और शिक्षा-अशिक्षा आदि विषयों में भटक कर मानवता को भूल गया है। जबकि सबसे बड़ी बात यह है कि मनुष्य सबसे पहले अपने लिए मानवता दिखाये।
जब हम खुश रहेंगे तभी हम अपने परिवार, मित्र और समाज को भी खुश रख सकते हैं। असली शांति के लिए हर मनुष्य को अपने ही अन्दर उसका अनुभव करना होगा । आप रईस बनना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने हृदय में रईस बनिए। अगर आप हृदय में दरिद्र रहे तो आपके पास चाहे कितना भी धन हो लेकिन आप दरिद्र ही रहेंगे। आप हृदय की आवाज को सुनिए। हृदय आपसे कह रहा है कि अपने जीवन में शांति लाओ। यही जीवन का असली मकसद होना चाहिए। जीवन में संतुलन बनाना जरूरी है। यदि जीवन में सफल होना चाहते हैं तो उसकी शुरूआत अभी से करनी होगी।
‘‘भीखा भूखा कोई नहीं, सबकी गठरी लाल।‘‘ संत कबीर के इस उद्धरण को उद्धृत करते हुए प्रेम रावत जी ने कहा कि गरीब कोई नहीं है। सबकी गठरी यानी हृदय में शांति का खजाना है। जब उसका अनुभव होगा तब जीवन में शांति आयेगी। शांति-शांति कहने से संसार में शांति स्थापित नहीं होगी। जब हर मनुष्य के जीवन में शांति होगी, तभी संसार में शांति होगी।
उन्होंने आगे कहा कि सबसे बड़ा आश्चर्य यही है कि मनुष्य ऐसे जीता है, मानों उसे संसार छोड़कर जाना ही नहीं है। शांति का अनुभव करने के बजाय वह उसे टाल देता है और अंत में उसे खाली हाथ ही इस संसार से जाना पड़ता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि आप खाली हाथ संसार में आये जरूर थे लेकिन आपको खाली हाथ जाने की जरूरत नहीं है। आपकी असली बुनियाद हृदय में मौजूद शांति है। यदि आपकी बुनियाद मजबूत रहेगी तो जीवन में कितने भी तूफान आये, आपको डरने की जरूरत नहीं है।
कर्यक्रम के सफल प्रबंधन एवं श्रोताओं के अनुशासन की बिहार प्रशासन ने बहुत सराहना की । प्रेम रावत जी 55 वर्षों से भी अधिक समय से लोगों को इस मानवता और शांति का संदेश देते आये हैं। प्रेम रावत जी का शांति-संदेश हर एक मनुष्य के लिए समान है, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, वर्ग से हो। उनका संदेश संस्कृति, धर्म, राजनीति, शिक्षा, सामाजिक स्थिति, गरीब-अमीर के भेदभाव से परे है और जेल के कैदियों से लेकर युद्ध-पीड़ित लोगों तक, सभी को समान रूप से प्रभावित करता है।
उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई देशांे के करोड़ों लोगों तक मानवता और शांति का संदेश पहुंचाया है। संपूर्ण विश्व में यात्राएं करते हुए 250 से भी अधिक शहरों में करोड़ों लोगों को उन्होंने प्रत्यक्ष रूप से संबोधित किया है। विदेशों के साथ-साथ, भारतवर्ष के महानगरों, कस्बों एवं गांवों में भी उनके कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित होते रहते हैं।
उनको सुनने के लिए बिहार के गणमान्य विधायक, प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी तथा बिहार, उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोग आये हुए थे। प्रेम रावत जी ने कहा कि मनुष्य अमीरी-गरीबी और शिक्षा-अशिक्षा आदि विषयों में भटक कर मानवता को भूल गया है। जबकि सबसे बड़ी बात यह है कि मनुष्य सबसे पहले अपने लिए मानवता दिखाये।
जब हम खुश रहेंगे तभी हम अपने परिवार, मित्र और समाज को भी खुश रख सकते हैं। असली शांति के लिए हर मनुष्य को अपने ही अन्दर उसका अनुभव करना होगा । आप रईस बनना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने हृदय में रईस बनिए। अगर आप हृदय में दरिद्र रहे तो आपके पास चाहे कितना भी धन हो लेकिन आप दरिद्र ही रहेंगे। आप हृदय की आवाज को सुनिए। हृदय आपसे कह रहा है कि अपने जीवन में शांति लाओ। यही जीवन का असली मकसद होना चाहिए। जीवन में संतुलन बनाना जरूरी है। यदि जीवन में सफल होना चाहते हैं तो उसकी शुरूआत अभी से करनी होगी।
‘‘भीखा भूखा कोई नहीं, सबकी गठरी लाल।‘‘ संत कबीर के इस उद्धरण को उद्धृत करते हुए प्रेम रावत जी ने कहा कि गरीब कोई नहीं है। सबकी गठरी यानी हृदय में शांति का खजाना है। जब उसका अनुभव होगा तब जीवन में शांति आयेगी। शांति-शांति कहने से संसार में शांति स्थापित नहीं होगी। जब हर मनुष्य के जीवन में शांति होगी, तभी संसार में शांति होगी।
उन्होंने आगे कहा कि सबसे बड़ा आश्चर्य यही है कि मनुष्य ऐसे जीता है, मानों उसे संसार छोड़कर जाना ही नहीं है। शांति का अनुभव करने के बजाय वह उसे टाल देता है और अंत में उसे खाली हाथ ही इस संसार से जाना पड़ता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि आप खाली हाथ संसार में आये जरूर थे लेकिन आपको खाली हाथ जाने की जरूरत नहीं है। आपकी असली बुनियाद हृदय में मौजूद शांति है। यदि आपकी बुनियाद मजबूत रहेगी तो जीवन में कितने भी तूफान आये, आपको डरने की जरूरत नहीं है।
कर्यक्रम के सफल प्रबंधन एवं श्रोताओं के अनुशासन की बिहार प्रशासन ने बहुत सराहना की । प्रेम रावत जी 55 वर्षों से भी अधिक समय से लोगों को इस मानवता और शांति का संदेश देते आये हैं। प्रेम रावत जी का शांति-संदेश हर एक मनुष्य के लिए समान है, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, वर्ग से हो। उनका संदेश संस्कृति, धर्म, राजनीति, शिक्षा, सामाजिक स्थिति, गरीब-अमीर के भेदभाव से परे है और जेल के कैदियों से लेकर युद्ध-पीड़ित लोगों तक, सभी को समान रूप से प्रभावित करता है।
उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई देशांे के करोड़ों लोगों तक मानवता और शांति का संदेश पहुंचाया है। संपूर्ण विश्व में यात्राएं करते हुए 250 से भी अधिक शहरों में करोड़ों लोगों को उन्होंने प्रत्यक्ष रूप से संबोधित किया है। विदेशों के साथ-साथ, भारतवर्ष के महानगरों, कस्बों एवं गांवों में भी उनके कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित होते रहते हैं।
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