देहरादून। गंगा के संरक्षण, संवद्र्वन व स्वच्छता पर जोर देते हुए, पदमश्री से विभूषित पर्यावरण विद डाॅ0 अनिल जोशी ने कहा कि गंगा को बचाना है तो इसके लिए हम सबको जुटना होगा। सामुहिक प्रयास करने होगे, और इसे एक जन आंदोलन के रूप में चलाना होगा। स्पर्श गंगा अभियान को उन्होंने इसी कड़ी का हिस्सा बताया।
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| स्पर्श गंगा अभियान की वेब-साइट व पत्रिका लांच करते डा. अनिल प्रकाश जोशी। |
डाॅ0 जोशी यहां स्पर्श गंगा अभियान की वेब-साइट और पत्रिका के शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि गंगा समेत समस्त जलधाराओं का सरक्षण आज ही नहीं कल की भी जरूरत है। जल ही नहीं रहेगा तो जीवन भी समाप्त हो जायेगा। इसके लिए समस्त जलधाराओं समेत जल स्रोतों का अक्षुण्ण रहना बेहद जरूरी है। किसी एक का दायित्व नहीं है। इसके लिए जन-जन को खुद ही जुटना होगा। इसके लिए जन आंदोलन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यही स्थिति समस्त नदियों की है।
देश में गंगा समेत 265 से अधिक नदियां विलुप्ति के कगार पर है या विलुप्ति हो चुकी है। स्पर्श गंगा अभियान को इस दिशा में अनुपम पहल बताते हुए उन्होंने इसके लिए सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ0 रमेश पोखरियाल ‘निशंक‘ की सराहना की और कहा कि अन्य जन प्रतिनिधियों को भी आगे आकर पहल करनी चाहिए। स्पर्श गंगा अभियान की प्रमोटर एवं अन्तर्राष्ट्रीय कथक नृत्यांगना आरूषि ’निशंक’ ने कहा कि वह इस अभियान से वर्ष 2009 से जुड़ी हुयी व अब वह इस अभियान को गंगोत्री से गंगासागर तक ले जायेगी। इस अवसर पर वन निगम के पूर्व एम0डी0 अनिल दत्त, ई0टी0 के सीनियर एडीटर, प्रखर मिश्र, एफ0एम0 के निदेशक अर्जुन कैन्तुरा, प्रोग्राम हेड नुपुर कर्नल पोखरियाल आदि ने भी स्पर्श गंगा अभियान में पूर्ण सहयोग का वचन दिया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डाॅ0 निशंक ने गंगा समेत समस्त जलधाराओं के संरक्षण व स्वच्छता पर जोर देते हुए सबसे जुड़ने का आहवान किया साथ ही कहा कि स्पर्श गंगा अभियान नमामि गंगे को पूरी ताकत देगी।



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