मसूरी, मसूरी आज तक ब्यूरो। पर्यटन नगरी मसूरी में आठ साल बाद एक बार फिर से ऐतिहासिक शरदोत्सव का आयोजन शुरू किया जा रहा है। मसूरी में शरदोत्सव का अपना एक ऐतिहासिक महत्व रहा है। उत्तर भारत में सबसे पहले मसूरी में 1950 में शरदोत्सव का आगाज हुआ था, तब से 2009 तक हर साल शरदोत्सव का आयोजन किया जाता रहा, लेकिन कुछ विषम परिस्थितियों की वजह से 2009 से अब तक शरदोत्सव पर ब्रेक लग गया था। अब एक बार फिर से नगर पालिका द्वारा शरदोत्सव शुरू किया जा रहा है, जिसमे उत्तराखंड के स्थानीय लोककलाकारों व उभरते कलाकारों को मौका दिया जाएगा।
इस संबंध में नगर पालिका अधिशासी अधिकारी एमएल शाह ने जानकारी देते हुए कहा कि आगामी 25 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक एतिहासिक शरदोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें उतराखंड के लोक कलाकार गजेंद्र राणा, मीना राणा, जितेंद्र पंवार, रेशमा शाह, पदम गुसांई, विरेंद्र राजपूत, किशन महिपाल, संजय कुमोला अपनी प्रस्तुती देंगे। वहीँ उभरते कलाकारों को भी शरदोत्सव में मौका दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि शरदोत्सव का शुभारंभ 25 अक्टूबर को सांय पांच बजे किताब घर में किया जायेगा।
वरिष्ठ पत्रकार और इतिहासकार जयप्रकाश उतराखंडी |
उन्होंने बताया कि मसूरी में शरदोत्सव का स्वर्णकाल 1980 तक रहा और 1990 के बाद इसमें कई बार अवरोध पैदा होता रहा जिससे उतरभारत की एक स्वणीम सांस्कृतिक परंपरा लुप्त हो गयी,जिसके बाद 1953 में नगर पालिका का गठन होने के बाद इस आयोजन का उतरदायित्व नगर पालिका ने ले लिया और इसके बाद उतरभारत का पहला शरदोत्सव मसूरी में हुआ, तब यहां के शरदोत्सव मे प्रख्यात कवि गोपालदास नीरज, काकाहाथ रशी, बलराज साहनी, दारा सिंह और किंगकोंग की फ्रीस्टाईल कुश्ती, मुशायरा, कटपुतली डांस आदि प्रस्तुतियां पेश की जाती थी।
Post A Comment:
0 comments so far,add yours