• उच्च शिखरीय पादप शोध संस्थान की बनियाकुण्ड में मौसम यंत्र की स्थापना

रुद्रप्रयाग। मौसम में आये दिन आ रहे परिर्वतन से मौसम वैज्ञानिक खासे चिंतित नजर आ रहे हैं। ऐसे में उच्च शिखरीय पादप शोध केन्द्र (हैप्रेक) ने ऊंचाई वाले इलाकों में मौसम यंत्र लगाना शुरू कर दिया है, जिससे उच्च हिमालय में आ रहे बदलाव के कारणों की सही जानकारी का पता लगने के साथ ही मौसम खराब होने की भी सटीक जानकारी मिल पायेगी। 
मौसम यंत्र की स्थापना करते हैप्रेक के प्रोफेसर एवं इंजीनियर।
दरअसल, कुछ वर्षो से मौसम में काफी बदलाव आ चुका है। जहां पहले नवंबर माह में भारी ठंड का अहसास होने के साथ ही हिमालयी पहाड़ियां बर्फ की चादरे ओढ़ लेती थी, वहीं अब ऐसा नहीं है। हिमालयी पहाड़ियों में बर्फ देखने मुश्किल हो गयी है और लोगों को ठंड का ज्यादा अहसास भी नहीं हो रहा है। सुबह और शाम के समय थोड़ा बहुत ठंड जरूर हो रही है, जो धूप आने के बाद गर्मी में बदल रही है। ऐसे में मौसम में आ रहे बदलाव से वैज्ञानिक खासे परेशान हैं। उन्हें चिंता सताये जा रही है कि हिमालय क्षेत्र में मौसम का बदलाव भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है। मौसम में आ रहे परिवर्तन के बाद हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के उच्च शिखरीय पादप शोध केन्द्र द्वारा नेशनल मिशन ओम हिमालयन स्टडीज के तहत जलवायु में आ रहे परिवर्तन की गणना और आंकलन की जानकारी के लिए तुंगनाथ घाटी के चोपता क्षेत्र के अन्तर्गत बनियाकुंड में मौसम यंत्र की स्थापना की गई है। यह तंत्र मौसम के साथ-साथ तापमान, वायुदार हवा और बरसात की सटिक जानकारी देगा। हैप्रेक के प्रोफेसर एमसी नौटियाल एवं विजयकांत पुरोहित ने बताया कि मौसम यंत्र की स्थापना का मुख्य उद्देश्य उच्च हिमालय क्षेत्रों में आ रहे जलवायु परिवर्तन के आंकड़ों का आंकलन करना है। कहा कि उच्च हिमालय क्षेत्रों में पहली बार इस तरह के यंत्र की स्थापना की जा रही है, जोकि प्रति मिनट बाद मौसम में आ रहे बदलाव की सही जानकारी देगा। इस यंत्र को स्थापित करने के लिए दिल्ली से आये इंजीनियर वीरेन्द्र भट्ट आर गौरव पैन्यूली ने बताया कि यंत्र की मुख्य विशेषता यह है कि श्रीनगर के अलावा दिल्ली या मुम्बई जैसे महानगरों में भी चोपता या उसके आस-पास के हिमालय क्षेत्रों की मौसम की जानकारियां आसानी से ले सकते हैं और इस डाटा को कई सालों तक सुरक्षित भी रखा जा सकता है। इस मौके पर संस्थान के डाॅ बीएस मेंगवाल, प्रदीप डोभाल, अनूप, गंगादर आदि मौजूद थे।
Share To:

Post A Comment:

0 comments so far,add yours