मंजुल मंजरी, ज़ाद खबर संवाददाता (बिहार)


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिस तरह महज 20 महीने पुराने राजनीतिक गठबंधन से एक झटके में  खुद को आज़ाद कर दिया ....और खुद पर धोखा देने के कई इलज़ाम सहे ...उम्मीद थी की इतने बड़े कदम के बाद उन्हें केंद्र से बतौर तोहफे में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की कुछ कुर्सियां जरुर मिलेगी ... मगर जब रविवार को राष्ट्रपति भवन में नरेन्द्र मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया ...तो जेडीयू को उसकी दोस्ती के बदले में कुछ नही देकर एक और विवाद उत्पन्न कर दिया गया ...जिसे अन्य राजनीतिक दलों ने खासकर राजद सुप्रीमो लालू यादव ने इस मामले पर नीतीश को निशाने पर लिया .... राष्ट्रपति भवन में हुए शपथ ग्रहण समारोह के बाद पर ट्वीट करते हुए राजद नेता लालू प्रसाद ने अपने चुटीले अंदाज में नीतीश पर तंज कसते हुए लिखा कि खूंटा बदलने से क्या भैंस ज्यादा दूध देगी? वहीँ इससे ठीक पहले पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव मजाक उड़ाते हुए लिखा था कि झुंड से भटकने के बाद बंदर को कोई नहीं पूछता....  वही राजद पार्टी के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने आलोचना करते हुए कहा  कि नीतीश कुमार को 'माया मिली न राम'. तिवारी ने अपने बयान में दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने जिस दिन बिहार के बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा किया थाउसी दिन दोपहर के भोज में वे जेडीयू के मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के आग्रह को ठुकरा चुके थे.... विस्तार से ठीक पहले शिवसेना ने एक बयान जारी कर कहा था कि कैसे हो सकता है कि दो सांसदों वाली पार्टी के दो नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए और 18 सांसदों वाली पार्टी को एक ही मंत्री पद मिले. उनका इशारा जेडीयू की ओर था जिसके लोकसभा में केवल दो ही सांसद हैं...
      गौरतलब है की नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार में जेडीयू के दो मंत्रियों के शपथ दिलाने की खबरें मीडिया में आई थीं... जेडीयू के सूत्रों ने बताया था कि नीतीश ने  इस मंत्रिमंडल के विस्तार के लिए अपने कोट से दो मंत्रियों के नामों पर चर्चा भी कर ली. एक मंत्री का नाम फाइनल कर लिया था और दूसरे नाम पर मंथन जारी था. लेकिन जब वास्तविक्ता में कैबिनेट विस्तार हुआ तब जेडीयू के किसी नेता  को नहीं देखा गया ....यह अभी भी राजनीतिक हल्कों से निकलकर सामने नहीं आया है कि आखिर क्यों इस मंत्रिमंडल विस्तार में जेडीयू के किसी नेता को शामिल नहीं किया गया.
जब इस मसले पर मीडिया द्वारा नीतीश से सवाल पूछा गया तो  नीतीश कुमार ने सफाई दी की “मेरी पार्टी के संबंध में जो भी बात होगी मैं खुद सबको बता दूंगा. अपने आप ही मीडिया सब चला रहा है. कैबिनेट विस्तार में जेडीयू का नाम बेवजह लिया गया...
नीतीश कुमार के इस कैबिनेट विस्तार के मसले पर पल्ला झाड़ने के बाद भी मामला ठंडा नही हुआ ...राजनीतिक गलियारे से सुगबुगाहट साफ़ झलक रही है ...नीतीश भी जानते हैं की उन्हें जिस फायदे की उम्मीद थी इस नए गठबंधन से ..वो उन्हें नही मिली ...उन्हें केंद्र में अपनी धमक जगानी थी ..साथ ही जेडीयू कोटे से केन्द्रीय मंत्रिमंडल में अपने नेताओं को जगह दिलाकर बिहार की जनता के सामने खुद को साबित भी करना था .....मगर राजनीति असंभावनाओं की जननी है ...प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा की तरह सबको निरुत्तर करते हुए जेडीयू को इस विस्तार से दूर रखा ...  जेडीयू के कई वरिष्ठ नेता भी इस बात से खफा हैं ..और नीतीश को उनकी नयी दोस्ती करने के लिए पुराने गठबंधन को तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं ....


    वहीँ सूत्रों का कहना है कि अभी संभव है कि एक और मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है. यह इसलिए कहा जा रहा है कि अभी मोदी मंत्रिमंडल में कुछ मंत्रियों की गुंजाइश बाकी है. संविधान के अनुसार पीएम नरेंद्र मोदी 81 मंत्री रख सकते हैं. अभी पीएम मोदी को मिलाकर कुल 76 लोग मंत्रिमंडल में हैं. यानि अभी भी पांच मंत्रियों की गुंजाइश है....
     मगर सवाल उठना लाजमी है ....नीतीश ने अपने जिस बड़े आदमकद को तलाशने और निखारने के लिए बीजेपी का दामन थामा था ...उसने उन्हें उनकी देश की राजनीति में अपने कद की पहचान करा दी ... बहरहाल आने वाले दिनों में जेडीयू को भले ही केन्द्र की ओर से कोई बड़ा तोहफा मिल जाए ..मगर अभी नीतीश की जो हालत है बिहार में ..उससे तो यही कहा जा सकता है की नीतीश बाबु बड़े ही धर्म संकट में फंसे हैं ..अब तो बीजेपी न निगलते बन रहा है ..न ही उगलते ...


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