पटना, सनाउल हक़ चंचल
औरंगाबाद(बिहार):-रफीगंज के रजानगर निवासी कौशर कादरी की 14 वर्षीय पुत्री सलमा खातून पर 24 जून को एसिड फेंका गया था। एसिड अटैक में सलमा पूरी तरह झुलस गई थी। इलाज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रफीगंज में किया गया था। यहां से चिकित्सकों ने सलमा की स्थिति को गंभीर देखते हुए रेफर कर दिया था। इलाज कराने सलमा सदर अस्पताल औरंगाबाद पहुंची। सलमा का शरीर पूरी तरह झुलस गया था जिस कारण चिकित्सकों ने सलमा को बेहतर इलाज हेतु गया मेडिकल कालेज अस्पताल रेफर कर दिया। गया के बाद सलमा का इलाज पीएमसीएच पटना एवं दिल्ली में की गई। दिल्ली के अपोलो अस्पताल में सलमा ज़िंदगी और मौत से जंग लड़ती रही। पूरा जिस्म तेजाब से छलनी हो गया था जिस कारण वह ¨जदगी की जंग हार गई। 83 दिनों तक अस्पताल में ¨जदगी की जंग लड़ते रही और अंतत: अपोलो अस्पताल दिल्ली में दम तोड़ दिया। 15 सितंबर 2016 को सलमा ने आखिरी सांस ली थी। सलमा के दर्द और संघर्ष की कहानी लंबी है। कहानी सुन हर कोई फफक पड़ता है। वर्ग नौ की छात्रा सलमा के साथ जिस तरह उसके पड़ोसी मो. अजहर ने क्रूरता किया था उसे कभी माफ नहीं किया जा सकता है। एक वर्ष बाद न्यायालय से फैसला आया और अभियुक्त मो. अजहर को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। सजा के बाद मो. अजहर को अब ¨जदगी भर जेल में तड़पना पड़ेगा। एसिड अटैक मामले पर चर्चा करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता उर्मिला ¨सह ने कहा कि सलमा के परिवार वालों को तमाम मुसीबतों को सामना करना पड़ा। न्याय के लिए उसके परिजन न्यायलय का दौड़ लगाते रहे। अंतत: एक वर्ष बाद उसे इंसाफ मिला। सलमा की आत्मा को आज तसल्ली मिली होगी।
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